बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
तमाम किस्म की तारीफें वहदहू लाशरीका-लहू (जो अकेला है उसका कोईल साझी नहीं) के लिए है, और वही तमाम खूबियों व तारीफों का सही मुस्तहिक है, और अनगिनत सलाम व सलात के हदिये हमारी और सब की जानिब से उसके आखिरी नबी रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वस्सलम की पाक रुह पर नाजील हो, और हमेशा हमेशा होते रहे और सलाम तमाम नबियों पर व रसूलों पर , सहाबा व बुजूर्गाने दीन पर ।
फरमाया अल्लाह तआला ने क्या इंसान मनी (वीर्य) की एक बूंद न था जो टपकायी जाती है । फिर वो एक लोथडा बना, फिर अल्लाह ने उसका पूरा ढांचा बनाया । और हर तरह आजा (अंग) ठिक बनाए फिर दो किस्में बनायी (१) मर्द (२) औरत । क्या अल्लाह तआला इस पर कादिर नही है कि वह मुर्दो का जिंदा कर के उठाए ? लोगों । अगर तुम को मरने के बाद जिंदा होने मे शक है तो (सोचो) हमने तुमको मिट््टी से पैदा किया फिर नुत्फे से फिर खून के लोथडे से फिर गोश्त की बोटी से जिसकी बनावट कामिल भी होती है और नाकिस भी । यह सब इसलिए बता रहे है ताकि तुम पर हकीकत खुल जाये, हम जिस नुत्फे को चाहते है । एक खास वक्त तक बच्चेदानी में बाकी रखें फिर तुमको एक बच्चे की शक्ल में निकालते है । फिर तुम्हारी परवरिश करते है ताकि तुम अपनी जवानी को पहुंचो और तुमसे कोई पहले ही बुला लिया जाता है और कोई सठियाई हुई उम्र्र तक फेर दिया जाता है ताकि सब कुछ जानने के बाद फिर कुछ न जानें । (तर्जुमा आयते-ए-कुरआन)
इंसान की दो किस्में बयान की गई है (१) मर्द (२) औरत और आपस मे दोनोंं का ऐसा गहरा ताल्लुक है की मर्द फितरतन औरत का मोहताज है और इसी तरह औरत भी मर्द की मोहताज है । अपनी जिंसियात की ख्वाहिश को पुरा करने में । अगर ये जिंसियाती ख्वाहिश जायज तरीके पर हो तो इसका नाम निकाह है जैसा कि मशहुर हदीस है कि निकाह मेरी सुन्नत है निकाह की चार किस्में है :-
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