adab e mubashrat hindi kitab ke baare me |अदब मुबशरत किताब के बारे मे Adab e Mubashrat Download Hindi Pdf

इस ब्लॉग पर आपको आदाब इ मुबशरत किताब पार्ट बी पार्ट लेख की शक्ल में दी गई है आप इसको पूरा पढ़े 

मुकदमा

शुक्र व हम्द है उस मालिक व खालिक का जो तमाम कायनात का पालनहार है। कायनात की तमाम मखलूक व जमीन के तमाम जर्रात से ज्यादा और मखलूक की सांसो से ज्यादा दुरुद (सलात व सलाम) नाजील हो और होते रहे , अल्लाह के आखिरी नबी व रसूल सल्ल. की रुह-ए- पाक पर हमेशा हमेशा तक ।

हम्द व सलात के बाद यह नाकारा मुहम्मद अशरफ अमरोही अर्ज करता है की चंद (कुछ) मुख्तसर पोशीदा राज जेहन (दिमाग) मे थे । जिनको आम लोगो के सामने पेश करते हुऐ शर्म आती है और उनका जाहिर करना भी जरुरी था । और लोगो को उनका जानना भी जरुरी है । जैसा की आपको किताब पढने से पता लग जाएगा । बस मुनासिब यी मालूम हुआ की कलम के सहारे लोगो पर जाहिर करु, बस जो इस वक्त दिमाग मे आए आपकी खिदमत में हाजिर करता हूं । आज रब्बुलआलमीन का बेइंतिहा फजल व कम हुआ और मुझे बडी खुशी है की खालिक-ए-आलम ने मेरी इससे पहले वाली किताब ’’तनहाई के सबक ’’ को मकबूलियत अता फरमाई । मेरी दुआ है कि इस ’’पोशीदा राज’’ को भी आम व खास लोगों में मकबूल फरमाएं । आमीन ।

हकीकत तो यही है की जो बातें मैने इस किताब में लिखी है वे ऐसे है जो कि मॉ-बाप भी अपनी जुबान से नही बता सकते बल्कि कुछ ऐसी बाते भी है कि शौहर भी अपनी बीवी से नही कह सकता शर्म व हया की वजह से, हालांकि वे सब जरुरी भी है। अल्लाह पाक मेरी इस खिदमत को कुबूल फरमाएं और इस किताब से फायदा उठाने वाले मेरी बख्शिश की दुआ करें ।


मुहम्मद अशरफ अमरोही


adaabemubashrathindi Part 01


Adab e Mubashrat Download Hindi Pdf 


On this blog, you have been given Adab e Mubsharat book in the form of part b part article, you read it completely.

Shukra and Hamd belong to that master and Khalik who is the sustainer of all creation. May the Durood (Salat and Salaam) be more than all the creatures of the universe and all the land of the land and more than the breaths of Makhluk (Salat and Salaam) and continue to be, the last Prophet and Messenger of Allah. On Ruh-e-Pak forever and ever.

After Hamd and Salat, it is denied by Muhammad Ashraf Amrohi that Chand (some) Mukhtsar Poshida Raj was in the mind (mind). Those who are ashamed while presenting them in front of common people and it was necessary to express them. And people also need to know them. As you will know by reading the book. I just found it appropriate that I should express it on the people with the help of a pen, I just present in your prayer whatever comes to my mind at this time. Today Rabbul Alameen's speech has become more and less and I am very happy that Khaliq-e-Alam has accepted my earlier book "Lessons of Solitude". I pray that this "Poshida Raj" should also be accepted by the common and special people. Amen .

The reality is that the things that I have written in this book are such that even the parents cannot tell with their tongue, but there are some such things that even a husband cannot say to his wife because of shame and shame, Although they are all necessary. May Allah Pak accept this request of mine and pray for my blessings to those who benefit from this book.




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