निकाह की किस्में :-
१. निकाह-ए-फर्ज
२. निकाह-ए-सुन्नत
३. निकाह-ए-मकरुह
४. निकाह-ए-हराम
१. निकाह फर्ज जब होता है, जब मर्द को कुव्वते मर्दानगी गालिब हो की जिनाकारी (बलात्कार) में फंस जाएगा और बदनी ताकत के साथ-साथ माली ताकत भी मौजूद है तो फिर ऐसे हालात में निकाह फर्ज होता है ।
२. निकाह सुन्नत जब होता है, जब की कुव्वते मर्दानगी न बहुत ज्यादा गालिब हो और न बिल्कुल खत्म हो बल्कि दर्मियानी हालत की औरत के हुकूक अदा कर सके, तो ऐसी हालत में निकाह सुन्नत है।
३. निकाह मकरुह जब होता है, जब कि मर्द को यह अंदाजा हो कि अगर मै निकाह कर लेता हूॅ तो शायद बीवी के हुकूक मुझसे अदा न हो सकेंगे, तो फिर ऐसी हालत में निकाह करना मकरुह है ।
४. निकाह हराम जब होता है, कि मर्द को पुरा यकीन हो की अगर वाकई मैने निकाह कर लिया तो बीवी के हुकूक मै अदा नही कर सकता और न अदा हो सकते है ।
बीवी पर सिवाए जुल्मो-ज्यादती के काई फायदा मेरी जात से नही हो सकता तो जब बीवी के हुकूक अदा न कर सकने का यकीन हो तो, ऐसी हालत में निकाह करना हराम है खूब समझ लो अगर जिन्सी ख्वाहिशात हलाल जायज तरीके पर न हो तो उसके तीन तरीके है तीनों हराम है ।
१. जिना, २. झल्क, ३. इगलामबाजी (लिवातत) जिसकी तफसील हम आगे बयान करेंगे ।
Types of marriage :-
1. Nikah-e-Farz
2. Nikah-e-Sunnat
3. Nikah-e-Makrooh
4. Nikah-e-Haram
1. When the marriage is obliged, when the man will be caught in the jinakari (rape) of the poor manhood, and along with the bad power, the financial power is also present, then in such a situation, the marriage is obliged.
2. Nikah is a Sunnah, when the virtuous manhood is neither too much nor is it completely finished, but is able to perform the duties of a woman of middle condition, then in such a condition Nikah is a Sunnah.
3. When Nikah is Makruh, when the man has an idea that if I get married, then perhaps the wife's rights will not be able to be paid by me, then in such a condition it is Makruh to do Nikah.
4. When Nikah is haram, that the man has full confidence that if I have actually got married, then I cannot and can't pay according to the wife's rule.
I can't get any benefit from my caste except atrocities on the wife, so when the wife is sure that she can't pay the hook, then it is haraam to do marriage in such a condition. There are three ways, all three are haram.
1. Jinnah, 2. Glance, 3. Iglambaji (Livat) whose details we will describe further.
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