इंसान के आला-तनासल का ताअर्रुफ |Taarruf of human's top-tansal

इंसान के आला-तनासल का ताअर्रुफ :-

जिस अजू के जरिये मुबाशरत की जाती है उसको आला-तनासल (पेशाब करने वाला अजू) कहते है । आला-तनासल की बडी अहमियत है क्योंकि यह मिलाप का आला है यानी खजाना ए मनी को दूसरे स्थान पर लज्जत व सुरुर के साथ पहुंचाने का काम अंजाद देता है । मालूम होना चाहिए कि आला-तनासल को सख्त करने की ताकत दिल से होती है और उसका एकसास पठ््ठो यानी मांसपेशियों से और इसकी खुराक जिगर से मिलती है और आपस में मिलने की ख्वाहिश जिगर व गुर्र्दे से होती है । और आला-तनासल मेंं एहसास बहुत बढ जाता है और आला-तनासल में लाल खून की रगें और काले खून की रगें (नसें) और मसल्सस (मांसपेशियांं) ज्यादा एक्टिव हो जाता है । आला-तनासल (लिंग) का ज्यादा बढना और सख्त होना रगों और पठ््ठो के ज्यादा होने की वज से है । आला-तनासल का शुरु का हिस्सा यानी अगला हिस्सा सुपारी की तरह गोल होता है इसलिए इसको सुपारी ही कह देते है और इस सुपारी के सिरे में पेशाब का सुराख होता है ।

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Taarruf of human's top-tansal :-
The Aju through which Mubasharat is performed is called Aala-Tanasal (Aju that urinates). Aala-tanasal is of great importance because it is the niche of reconciliation, that is, it allows the task of transporting treasure-e-money to another place with shame and grace. It should be known that the strength of hardening of the ala-tanasal comes from the heart and its joint is from the muscles, and its dose comes from the liver and the desire to meet with each other comes from the liver and kidney. And the feeling in the lower-tanasal increases a lot and the veins of red blood and the veins of black blood (nerves) and muscles (muscles) become more active in the lower-tanasal. Enlargement and hardening of the ala-tanasal (penis) is due to the presence of veins and paths. The beginning part of the aala-tanasal ie the front part is round like a betel nut, so it is called betel nut and there is a hole in the end of this betel nut.

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