मुबाशरत करना सबसे ज्यादा लजीज है :-
मुबाशरत करना सबसे ज्यादा लजीज है । लेकीन ज्यादती सबसे अधिक नुकसानदेह भी है । खालिक-ए-कायनात ने मुबाशरत में लज्जत छुपा रखी है । ताकि आदमी ही नही बल्कि हैवान और जानवर भी इस मिलाप पर रगब्त रखे । जिस तरह खाने-पीने की चिजों मेंं मजा (लज्जत) है । इसी तरह बल्कि इससे भी मुबाशरत में लज्जत है । अक्लमंदो ने कहा है कि जन्नत की लज्जतों मे से दुनिया के अंदर यही एक लज्जत मौजूद है और दुनिया के अंदर इस मुबाशरत से बढकर किसी और चीज में ऐसी लज्जत नही है । इसी लज्जत की वज से आदमी अपनी इज्जत और दुसरो की इज्जत बर्बाद कर लेता है । जिना जल्क, इगलामबाजी मे अपने आपको बर्बाद कर लेता है । यानी पहले मजा फिर सजा । और इसका भी ख्याल नही करता कि इस नतीजे का तीजा हो जाऐगा और इतना कीमती जौहर जो कि सात फैक्ट्रियों मे तैयार हुई ’’मनी’’ जिसे कुव्वते मर्दानगी कहते है । यहीं से मर्द और नामर्द में फर्क होता है और यह मिलाप एक ऐसा अमल है कि अशरफुल मख्लूकात से लेकर जानवरों व हैवानों में भी मौजूद है ।
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