मुबाशिरत कितने दिनों में करना चाहिए

मुबाशिरत कितने दिनों में करना चाहिए :

कहानी है कि किसी शख्स ने हकीम सुकरात से पूछा कि मुबाशिरत तंदुरुस्त आदमी को कितने दिनों के बाद करना चाहिए । हकीम सुकरात ने जवाब दिया, साल में एक बाद फिर उस शख्स ने पूछा अगर ताकत व जोश ज्यादा हो और इतने पर सब्र न हो सके, फिर हकीम सुकरात ने जवाब दिया कि महिने में एक बाद । फिर सवाल करने वाले नू पूछा अगर उस पर भी बर्दाश्त् ान हो सके, ताकत व जोश ज्यादा हो । तो हकीम ने फरमाया हफ्ते में एक बाद, फिर उस सवाली ने पुछा कि अगर इतने दिनों पर भी सब्र्र न हो सके, तो हकीम साहब ने सख्ती से जवाब दिया और कहा कि मनी जिस्म का तेल और रुह है और अगर कोई इस पर भी सब्र न करे तो फिर व इंसान अपनी रुह को निकाल कर फेंक दे और जिंंदगी से हाथ धोकर मुर्दो की लाईन में शरीक हो जाये अपनी कब्र तैयार रखे ।

बहरहाल मुबाशिरत में बीच का रास्ता इख्तियार करे न बिलकुल ही तर्क करे और न ज्यादा, नहीं तो दोनोंं हालतों में नुकसान ही होता है । कुछ हकीमों ने मुबाशिरत मे तीन दिन का फासला बताया है । इससे पहले मुबाशिरत न की जाये जैसे बगैर भूख के खाना खाने से नुकसान होता है । इससे ज्यादा नुकसान मुबाशिरत बगैर जरुरत करने से होता है । इसलिए मुबाशिरत की भूख का ख्याल रखना चाहिए ।

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