मुबाशिरत की भूख की पहचान

मुबाशिरत की भूख की पहचान :

मुबाशिरत की भूख की पहचान यह है कि बिना किसी मुबाशिरत की बात का ख्याल लाये जोश व गर्मी पैदा होने लगे अ‍ौर अजू में सख्ती बढने लगे तो समझ लो कि यही मुबाशिरत की भूख है ।




भूख और बगैर भूख के मुबाशिरत करने के फायदे व नुक्सानात :

मुबाशिरत की भूख के साथ जो मुबाशिरत की जाएगी तो उससे ताजगी व सुरुर बल्कि अक्ल भी ज्यादा होती है और बेभूख मुबाशिरत अगर की जाए तो उससे जिस्म में सुस्ती पैदा होती है और दिमाग से याद््दाश्त कम हो जाती है और मनी निकलने से दिल में खुशी के बजाए मिजाज में चिडचिडापन व गुस्सा सा पैदा होने लगता है और मुबाशिरत के बाद नदामत काहिली शर्मिदगी व अफसोस जाहिर होता है और मुबाशिरत ज्यादा करने से बहुत ज्यादा कमजोरी व सुस्ती आती है ।

चूंकि आदमी लज्जत का दिवाना है । औरत के हमल के नौ महिने की तकलीफ बर्दाश्त करती है । बच्चा पैदा होने की तपलीफ सह लेती है लेकिन मुबाशिरत की लज्जत के मुकाबले में हमल ठहरने की और बच्चा जनने की परेशानी की तकलीफ भूल जाती है । यही वजह है कि जो आदमी एक बार मुबाशिरत का जायका जान लेता है तो फिर इसे छोड नहीं पाता और इसकी आग तेज होने लगती है । इसलिए जरुरी है कि दरमियानी तरीके से इसको कायम रखे जैसे दूसरे कामों के अंदर बीच की राह इख्तियार करता है और करनी भी चाहिए इसी तरीके से मुबाशिरत का सिलसिला अपनाये ।

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