मुबाशिरत करने की जगह

मुबाशिरत करने की जगह :-

मुबाशिरत जहां तक हो सके छुपी जगह में हो और उस जगह में हो जहांं छत भी उâपर से हो । और उस जगह पर किसी के आने-जाने का खतरा भी न हो और वहांं पर कोई ऐसा बच्चा भी न हो जो मुबाशिरत की बातों को जानता और समझता हो अगर कोई छोटा बच्चा हो भी तो जागा हुआ न हो बल्कि वह गहरी नींद में सोता हो और मुनासिब यह है कि ऐसी जगह हो जहां जानवर भी न हो बिलकुल अलग जगह हो , हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहिवस्सलम ने इरशाद फरमाया जो शख्श औरत के पीछे के मुकाम में अजू दाखिल करे वह शैतान मलउन व मरदूद है ।

मुबाशिरत के वक्त के कपडे :-

मुबाशिरत के वक्त बिलकुल नंगा होना पसंदीदा नही है । क्योंकि बिलकुल नंगा होने से जो औलाद पैदा होगी उसके बे-हया और बेशर्म होने का अंदेशा है । हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहिवस्सलम ऐसे मौके पर अपना सिर मुबारक भी कपडे से ढक लिया करते थे । आवाज बहुत हल्की कर लेते थे और बीवी से कहते थे कि इत्मीनान और सुकून से रहो और आप सल्लल्लाहु अलैहिवस्सलम ने तरीका बयान किया कि जब औरत मर्द मुबाशिरत करें तो गधों की तरह बिलकुल नंगे न हुआ करें । रिवायत है कि अपने आपको और अपनी बीवी को किसी कपडे से ढांप लो ।

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