मुबाशिरत के वक्त की एहतियातें :-
मुबाशिरत के वक्त बुजदिली इख्तियार न करे वरना औलाद भी बुजदिल पैदा होती है । मुबाशिरत के वक्त अपनी बीवी के अलावा किसी और औरत का ख्याल न लाये वरना शरीअत में गुनहगार लिखा जायेगा, बीवी भी अपनी हो और तसव्वुर भी अपनी बीवी का ही हो । मुबाशिरत के वक्त ज्यादा बातें न करे वरना होने वाली औलाद की जुबान में गुंगापन पैदा होने का डर है मुबाशिरत के वक्त किब्ले की तरफ मुंह न करे कि इससे काबतुल्लाह की बहुरमती करने वाला शुमार होगा । मुबाशिरत के वक्त शर्मगाह को न देखे इससे आंखों की कमजोरी पैदा होती है और हमेशा शर्मगाह को देखने से भूलचक की बीमारी का खतरा होता है । मुबाशिरत करते समय दीनी-इस्लामी किताबों पर पर्दा डाल देना चाहिए । मुबाशिरत करते वक्त किसी बदसूरत बच्चे का ख्याल दिल में न लाये वरना होने वाला बच्चा उसी सूरत का हो सकता है ।
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