मुबाशिरत के आदाब

मुबाशिरत के आदाब :

मुबाशिरत के आदाब में यह भी है कि औरत की शर्मगाह को न देखा जाए क्योंकि शर्मगाह को देखने से मर्द का जोश तो बढता है लेकिन आंखो को नुकसान पहुंचता है आंखों की रोशनी कमजोर होती है । फिर मर्द अपने अज के सिरे को औरत की शर्मगाह में दाखिल कर के रोके रखे ताकि औरत की चाहत बढे और आंखो मे सुरुर पैदा होकर जाहिर हो जाये फिर मर्द अपने पूरे अजू को तेजी के साथ दाखिल करे लेकिन ज्यादा जोर से दाखिल न करे क्योंकि ज्यादा जोर से हरकत करने मे कुछ औरतों की बच्चेदानी में बिमारी लग जाती है और बहुत तेजी के साथ हरकत करना मकरुह भी है और मना है लेकिन औरत अगर इससे राजी हो और पसंद करे तो फिर मकरुह नही है और जब मर्द को मनी निकलने करे (इसका तरीका आगे बतया जायेगा ) ।


शौहर को अगर बीवी से पहले मनी निकलने लगे तो जब तक बीवी की मनी न निकले हरकत करता रहे और जब औरत की पकड धीरे हो जाए, तो जान लेना चाहिए कि औरत को भी इंजार हो गया । मनी निकलने के बाद औरत बिस्तर पर इसी तरह लंबी होकर लेटी रहे ताकि मर्द का मनी औरत के बच्चेदानी में दाखिल हो सके, औरत जल्दी उठने या हरकत करने या छीकने या फौरन पेशाब करने से रुकी रहे और बची रहे ।


मुबाशिरत करने का बेहतरीन तरीका कुरआन, हदीस व बहुत से हकीमों ने यह बयान किया है कि औरत कमर के बल सीधी लेटे और मर्द उसकी दोनों रानों के दरम्यान आकर मुबाशिरत के काम में मशगूल हो । इस तरीके से अलावा हिंदुस्तान के हकीमों ने छत्त्तीस शक्लें व सूरतें बयान की है। अगरचे इन तमाम तरीकों से मुबाशिरत करने से लज्जत तो महसूस होती है लेकिन ये तरीके औरत मर्द में मुख्तलिफ तरह के पोशिदा मजों की जड बनकर औरत मर्द को नुकसान पहुंचाने का सबब बन जाते है । और अक्सर इन छत्त्तीस तरह की शक्ल व सूरतों में भी लज्जत होती है मगर वह सब की सब मर्द और औरत को किस्म किस्म की बीमारियों में गिरफ्तार होने को जरीया बनती है और अक्सर इन ३६ शक्लों से हमल भी ठहरता । खासतौर पर इस सूरत में कि मर्द औरत की जगह पर नीचे हो और औरत मर्द उâपर हो इस अमल से लज्जत तो ज्यादा होती है लेकिन इस सुरत में मर्द की मनी निकल कर उल्टी बहकर वापस आ जाती है ।

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